Tag: shayari
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बाज़ार
मशगूल हैं सब दौलत कमाने मेंअब और क्या उम्मीद करें ज़माने से मुखालफत होती है जहां लोगों सेछोड़ देते हैं उन्हें इसी बहाने से मुसीबत होती है कभी जब बाजार मेंभाग आते हैं अपने महफूज तहखाने मेंभूल नहीं पाती है नजर सुबह कोमिट जाते हैं बस खुद को जगाने में न राह मुश्किल है न…
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दिन और रात
A Shayari which you will relate to if you often like to keep alone with your own thoughts.
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रहने दो,
‘गर दिल बेकरार होतो बेकरार ही रहने दो ज़िंदगी पर सवाल होतो जवाबों को रहने दो क्या फर्क है बरबादी और कामयाबी में?ज़िंदगी एक जहाज है, पड़ावों को रहने दो मुश्किल है गिर के उठना मगरउठकर उन सहारों को पास रहने दो काम आयेगी ये किस्मत की मार भी क्याजीते–जीते इस उलझन को रहने दो…
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ज़माने
जिंदगी नही मिली पर जिंदा हूं मैं आसमान का टूटा हुआ परिंदा हूं मैं लोग पीते रहे खुशनुमा महफिलों में महफिलों से भी तो शर्मिंदा हूं मैं। इस कदर पत्ते शाखों से टूट जाते थे जैसे सिर्फ फूलों की खुशबुओं का इंतजार हो कफन भी ना भीग पाए अश्कों से जहां ऐसे बेदर्द ज़माने का…
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ख़याल
बात तो अब बहुत पुरानी है इक खोए हुए वक्त की रवानी है बहता था वो शख़्स हर उस हवा की साथ पहुँचाती जो भी उसकी फ़रियाद दूआओं के साथ के बस परिन्दों-से ख़याल मिलें ख़ाली आसमानों में उड़ते उड़ते वरना रख़ा ही क्या है ज़मीन की मोहब्बतों के साथ।