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विपक्ष की बात
भारतवर्ष की भूमि परजब शीत ऋतु लहराती थी,असावधान बैठी देहों पर,क्रूरता बरसाती जाती थी। हंसते-रोते, चलते-सोते रोजमर्रा के जीवन ढोते,लोगों के जीवन मे एक दिन आया ऐसा निराला थालोकतंत्र का गान करके कुछ जनों ने,देश के हृदय पर तेज़ चुभोया एक भाला था।सुबह का अखबार जैसे अपने साथ उल्टी स्वतंत्रता लाया था,लगता था ठंड ने…