Tag: kavita
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अभिमन्यु
वीरता के जो होते मिसाल हैं,स्वार्थ, लोभ दुर्गुणों से अधिक विशाल हैं,दुर्घटनाओं में न वे मुरझाते हैं,कठिनाइयों को हंस कर गले लगाते हैं। वीरता भी कई प्रकार की होती है,जैसे सागर में असंख्य मोती हैं,वे संसार भर में पूजे जाते हैं,समाज के आदर्श कहलाए जाते हैं। एक उदाहरण लोकप्रिय वह सही,द्वापर की वह कथा कही-सुनी।साहस…
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मृत्यु से मुलाकात
निकल पड़ा मैं घर से किसी बात पे,क्रोधित था मन उस दिन दुनिया के हालात पे,उचटा हुआ मन लिए पहुंचा एक सूने मैदान में,सहसा सन्नाटे से ठिठका, हुआ थोड़ा हैरान मैं । दूर दूर तक न कोई मनुष्य नज़र आता था,न ही आकाश से कोई पंछी चहचहाता था,रोशनी भी धीरे धीरे ढल रही थी,धूल समेटे…
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यह प्रेम नहीं
(इस कविता में जो लिखा है उसका अर्थ तो समझिए ही साथ ही साथ उसके उलट जो आज के युग में होता है वह भी सोचिये)(कविता को लयबद्ध पद्य की शैली में लिखा है, यदि उस लहजे से पढ़ा जाए तो अलग आनंद मिलेगा 🙂) काल का चक्र जो चलता है,किसी के लिए नहीं ये…
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पार तो फिर भी करना होगा
Inspired from and Dedicated to Shri Atal Bihari Vajpayee हो राह में यदि आकाश,सूर्य की तरफ उड़ना होगा,बीच तड़ित से चमकते बादलों कोपार तो फिर भी करना होगा। जब नदी में हो वेग गजब,और नौका फंसी मझधारों में,धैर्य तो फिर भी धरना होगा,पार तो फिर भी करना होगा। विपरीत दिशा की धारा में,चप्पू चलाते रहना…