बात तो अब बहुत पुरानी है
इक खोए हुए वक्त की रवानी है
बहता था वो शख़्स हर उस हवा की साथ
पहुँचाती जो भी उसकी फ़रियाद दूआओं के साथ
के बस परिन्दों-से ख़याल मिलें ख़ाली आसमानों में उड़ते उड़ते
वरना रख़ा ही क्या है ज़मीन की मोहब्बतों के साथ।
A blend of poetry with life
बात तो अब बहुत पुरानी है
इक खोए हुए वक्त की रवानी है
बहता था वो शख़्स हर उस हवा की साथ
पहुँचाती जो भी उसकी फ़रियाद दूआओं के साथ
के बस परिन्दों-से ख़याल मिलें ख़ाली आसमानों में उड़ते उड़ते
वरना रख़ा ही क्या है ज़मीन की मोहब्बतों के साथ।