Inspired from and Dedicated to Shri Atal Bihari Vajpayee
हो राह में यदि आकाश,
सूर्य की तरफ उड़ना होगा,
बीच तड़ित से चमकते बादलों को
पार तो फिर भी करना होगा।
जब नदी में हो वेग गजब,
और नौका फंसी मझधारों में,
धैर्य तो फिर भी धरना होगा,
पार तो फिर भी करना होगा।
विपरीत दिशा की धारा में,
चप्पू चलाते रहना होगा,
प्रखर प्रवाह से टकराएगा पानी तब भी,
पार तो फिर भी करना होगा।
अवरोध बनी हो चट्टानें पथ पर,
उठ, पंख फैला कर उड़ना होगा,
चढ़ कर नहीं तो कूद कर ही सही,
पार तो फिर भी करना होगा।
जीवन नहीं होता किसी के लिए आसान,
जीने का अर्थ समझना होगा,
हाथ बढ़ाकर ही, छीन के अवसर लेना होगा,
पार तो फिर भी करना होगा।
परेशानी-तकलीफें तो आएंगी,
इनसे सीख जीने का आनंद लेना होगा,
हीरा बनने के लिए संघर्ष-अनल में जलना होगा,
पार तो फिर भी करना होगा।
जब भूमि जलते अंगारे हो,
दृष्टि में कहीं न ठंडे किनारे हों,
तब हृदय को पत्थर बना इस अग्निपथ से गुजरना होगा,
यह अग्निपरीक्षा तो देना होगा।
पार तो फिर भी करना होगा
पार तो फिर भी करना होगा।